अमित साध कई टीवी सीरियल और फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं। ब्रीद के पहले कामयाब सीजन के बाद अमित ब्रीदः इंटू द शैडोज में फिर से नजर आए हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के तहत उन्होंने लॉकडाउन, नेपोटिज्म आदि विषयों पर खुलकर बातचीत की।
आपका किरदार ब्रीद के दूसरे सीजन में क्या नया मोड लाएगा
मेरा जो पहले सीजन में किरदार था एक पुलिस ऑफिसर और शराबी का था, जिसकी खुद बहुत सारी प्रॉब्लम थीं। इस सीजन में मेरी पर्सनालिटी के कई शेड्स दिखाए जाएंगे। सीजन 2 में मेरा रोल बेहतर है। राइटर्स ने मेरे रोल को और भी दमदार और अच्छा लिखा है। मैं अपने रोल को लेकर एक्साइटेड हूं ।
सीजन 2 में आपके लिए सबसे अच्छा चैलेंजिंग पार्ट कौन सा था?
ब्रीद से पहले मेरा कैरियर डगमगा रहा था लेकिन पहले सीजन के बाद ऑडियंस से जो मुझे प्यार मिला है वह बहुत स्पेशल था। मैंने उनके सामने जो बेंचमार्क सेट कर दिया था उसे फिर से छू पाना और सबकी उम्मीदों पर खरा उतरना ही सबसे बड़ा चैलेंज था। इस सीजन में कुछ नया करने की और मेरे रोल के साथ एक्सपेरिमेंट करने कि कोशिश की गई है।
अभिषेक के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा?
अभिषेक के साथ काम करना बहुत आसान और मजेदार था क्योंकि वह बेहद ही प्यारे इंसान है, बहुत हंबल भी हैं। फिल्मों की बहुत समझ है उन्हें ,बहुत टैलेंटेड है अपना किरदार बखूबी निभाते हैं। वे एक्सपीरियंस में मुझसे काफी बड़े हैं लेकिन उन्होंने कभी ऐसा कुछ जाहिर नहीं किया। मेरे साथ एक दोस्त, एक बड़े भाई की तरह सेट पर रहते थे। सेट पर हमने साथ में क्रिकेट खेला साथ खाना खाया। मुझे जब भी अच्छी कॉफी पीनी होती थी मैं उनके पास चला जाता था।
लॉकडाउन ने आपकी जिंदगी को किस तरह बदला है
मैं लॉकडाउन अपने परिवार के साथ नहीं बिता पाया क्योंकि मैं मुक्तेश्वर में था। वहां पहाड़ों में, जंगलों में हर रोज 10 किलोमीटर घूमा करता था। इस लॉकडाउन ने मुझे एक बहुत ही अहम बात सिखा दी है। पहले मेरी जिंदगी में सिर्फ फिल्म्स की ही जगह थी। सुबह-शाम, दिन-रात, खाते-पीते, उठते-बैठते मैं सिर्फ फिल्मों के बारे में ही सोचता था लेकिन इन 3 महीने के अंतराल ने मुझे यह एहसास दिलाया है कि फिल्म्स बहुत छोटा हिस्सा है मेरी जिंदगी का और मेरी लाइफ में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो मैं नजरअंदाज कर देता हूं। लाइफ को कैसा जीना चाहिए यह मैंने इस लॉकडाउन में सीखा। मुक्तेश्वर में मैं सुबह 5:00 बजे उठ जाया करता था पक्षियों की चहचहाट और उसके बाद ट्रैकिंग किया करता था।
जिंदगी में असफलताओं के साथ कैसे डील करते हैं
मैं सिर्फ यही कहूंगा कि मेरी जिंदगी का एक ही मूल मंत्र है। आपके मन का हो तो अच्छा है और अगर आपके मन मुताबिक ना हो तो और भी अच्छा है। मुझे प्यार सम्मान मिल रहा है तो मैं खुश हूं लेकिन अगर असफलताएं भी मेरी जिंदगी के रास्ते में आती है तो मैं कभी भी निराश नहीं होता ।
आउटसाइडर होने के नाते नेपोटिज्म पर क्या कहेंगे
बस यही कहना चाहूंगा कि मैं मानता हूं इंडस्ट्री में चार नालायक हैं लेकिन अगर 4 नालायक लोग हैं तो 40 अच्छे लोग भी है। फेवरेटिस्म तो हर घर में होता है, बच्चों के बीच होता है। मैंने बस यही सोच रखा है कि ईमानदारी से काम करता रहूं अगर काम नहीं मिलेगा तो मैं बर्तन मांज लूंगा, मैं फिल्मी दुनिया में आने से पहले एक होटल में सिक्योरिटी गार्ड था। जब 16 साल की उम्र में मैंने खुद सरवाइव कर लिया इस दुनिया में तो अब तो मैं 41 साल का हूं बहुत कुछ कर सकता हूं।
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इस सीरीज ने आपकी जिंदगी को कैसे बदला है?
सबसे पहले तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि ब्रीद से मुझे एक एक्टर के तौर पर काफी संतुष्टि मिलती है। मेरे अंदर के आर्टिस्ट को और अच्छा करने का चैलेंज मिला है। मैं रेंट टाइम पर दे पाता हूं, घूमने फिरने का शौक है तो बाहर घूम भी पाता हूं।
कोई ऐसा किरदार जो बड़े पर्दे पर देखा हो और उसे निभाने की इच्छा हो?
मैंने एक फिल्म देखी थी ग्लेडिएटर और अगर मौका मिला तो उस रोल को निभाने की पूरी कोशिश करूंगा। गौरतलब है कि ब्रीदः इंटू द शेडोज में अमित एक पुलिस अफसर कबीर सावंत का किरदार निभाया है। इसके अलावा वे विद्युत जामवाल के साथ यारा में भी नजर आने वाले हैं।
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from Dainik Bhaskar
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