सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से नेपोटिज्म को बढ़ावा देने का आरोप झेल रहे करन जौहर बुरी तरह आहत हैं। वे बात करने की स्थिति में नहीं हैं। कोई फोन करता है तो वे टूट जाते हैं और रोने लगते हैं। पूछते हैं कि क्या वाकई वे यह सब डिजर्व करते हैं? रिपोर्ट के मुताबिक, यह दावा करन के एक करीबी दोस्त ने किया है।
बॉलीवुड हंगामा ने करन के करीबी दोस्त के हवाले से लिखा है- करन टूट चुके हैं। उन्हें सालों से ट्रोल किया जा रहा है और वे सोचते थे कि उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन सुशांत की मौत के बाद से उन्हें अपने खिलाफ जो नफरत देखने को मिली, उसने उन्हें बिखेर कर रख दिया है।
बच्चों को मिल रही जान से मारने की धमकी
रिपोर्ट में आगे लिखा है- करन के साथ-साथ उनके करीबियों को भी निशाने पर लिया जा रहा है। इसलिए वे खुद को वाकई दोषी महसूस कर रहे हैं। उनके तीन साल के जुड़वां बच्चों को जान से मारने की धमकी मिल रही है। अनन्या पांडे जैसे लोगों को सोशल मीडिया पर नफरत का शिकार होना पड़ रहा है, उन्हें सुशांत की भरपाई के लिए सुसाइड करने को कहा जा रहा है, जबकि उनका सुशांत से कोई कनेक्शन भी नहीं है।
वकील ने करन को चुप रहने की सलाह दी है
क्या करन सामने आकर मामले पर बयान देंगे? इसके जवाब में उनके दोस्त ने कहा- बिल्कुल नहीं। उनके वकील की सलाह है कि इस मामले में चुप रहना ही बेहतर है। करन कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं। उनकी हालत भाग्य के मारे इंसान के जैसी है।
करन से बात करने का अनुभव सुखद नहीं है। जब हम उन्हें कॉल करते हैं तो वे टूट जाते हैं। वे लगातर रो रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या वाकई वे यह सब डिजर्व करते हैं? दोस्त ने यह भी कहा कि वे करन के लिए डरे हुए हैं।
25 दिन से सोशल मीडिया से दूर हैं करन
करन जौहर 25 दिन से ट्विटर और इंस्टाग्राम से दूर हैं। उन्होंने 14 जून को आखिरी पोस्ट सुशांत सिंह राजपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही की थी। करन ने अफसोस जताया था और इस बात के लिए खुद को दोषी माना था कि वे सालभर से सुशांत के संपर्क में नहीं थे।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था- पिछले एक साल से तुम्हारे संपर्क में नहीं रहने पर मैं खुद को दोषी मानता हूं। मैंने कई बार ऐसा महसूस किया है कि आपको अपनी बातें साझा करने के लिए कई बार लोगों की जरूरत रहती है। लेकिन कहीं न कहीं मैं इस बात को अपने जीवन में नहीं उतार सका। अब मैं वह गलती दोबारा नहीं करूंगा।
हम बहुत ऊर्जावान और शोरगुल वाले समय में हैं, फिर भी बेहद अलग-थलग हैं। हम में से कुछ इन चुप्पियों के सामने झुक जाते हैं और उम्मीद छोड़ देते हैं। इसलिए हमें सिर्फ रिश्ते ही नहीं बनाने हैं, बल्कि साथ में उनका लगातार पोषण भी करना है।
सुशांत का दुर्भाग्यपूर्ण निधन मेरे अलावा मेरी सहानुभूति के स्तर और रिश्तों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिए मुझे जगाने वाला साबित हुआ। मुझे उम्मीद है कि ये आप सबको भी समझ में आ गया होगा। हमें तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा और तुम्हारा वो बड़ा सा हग हमेशा याद आएगा।
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from Dainik Bhaskar
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