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'आठवीं में पहली बार सरोज जी को सेट पर देखकर उन जैसा बनने का निर्णय लिया था'










बॉलीवुड के एक दो तीन और धक-धक जैसे ब्लॉकबस्टर गाने कोरियोग्राफ कर चुकीं सरोज खान दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं। उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर है। इसी बीच डांस कोरियोग्राफर वैभवी मर्चेंट ने भी उन्हें अपनी प्रेरणा बताते हुए भास्कर से दिलचस्प किस्से शेयर किए हैं।

उनका जाना मेरा पर्सनल नुकसान है

सरोज खान जी की मृत्यु बॉलीवुड के लिए बहुत बड़ा लॉस है लेकिन मेरे लिए यह एक पर्सनल लॉस है क्योंकि वह मेरी फैमिली का हिस्सा थीं। वो मेरे ग्रेट ग्रैंडफादर की स्टूडेंट रह चुकी हैं बल्कि मेरे ग्रैंडफादर के भाई की वाइफ भी थीं।

डांस का जुनून सरोज खान से मिला

मुझ में डांस करने का जुनून उन्हीं को देख कर आया। मैंने पहली बार जब सरोज खान जी को देखा था तब वो माधुरी दीक्षित के साथ चोली के पीछे क्या है कोरियोग्राफ कर रही थीं और उस वक्त मैं आठवीं कक्षा में थी। जब मैं उस बड़े सेट पर गई और मैंने पहली बार सरोज जी को डायरेक्शंस देते हुए देखा तब उन्होंने दुपट्टा कसके अपनी कमर पर बांधा हुआ था और वे डांसर को कमांड दे रही थी।

उनके गानों पर थिरकते हुए बड़ी हुई हूं

उसके बाद उनका एक और हिट गाना है जिसका नाम था एक दो तीन जिसमें एक बार फिर माधुरी दीक्षित ने अपना जलवा बिखेर दिया। जब मैंने गाना देखा तो वो मेरे दिल को छू गया। मैंने डिसाइड कर लिया कि अब मुझे भी इसी क्षेत्र में काम करना है। मैं तो उनके गानों पर थिरकते हुई ही बड़ी हुई हूं।

पुरुष प्रधान डांस इंडस्ट्री में इकलौती थी सरोज खान

जहां पहले सभी कोरियोग्राफर्स पुरुष हुआ करते थे वहां सरोज खान पहली ऐसी महिला बनी जिन्होंने कई सारे हिट गाने कोरियोग्राफ किए और इस इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम हासिल किया। माधुरी दीक्षित का गाना एक दो तीन, इतना बड़ा हिट हुआ कि फिल्म फेयर अवॉर्ड्स में अलग से बेस्ट कोरियोग्राफी के नाम से एक कैटेगरी बनाई गई और यह अवार्ड मिला सरोज खान जी को। हम सभी फराह खान और आज जीतनी भी कोरियोग्राफर्स हैं उनके नक्शे कदम पर चली हैं क्योंकि इस इंडस्ट्री में इस मुकाम पर पहुंचने वाली वे एक ही हैं।

आजा नचले फिल्म में काम के लिए मिली थी सरोज जी से तारीफ

आजा नचले फिल्म के क्लाइमेक्स में कम से कम 15 से 20 मिनट का एक्ट था जिसमें डांस और कोरियोग्राफी मैंने की थी। जब मैंने यह सब किया तो सरोज जी बहुत खुश हुईं और उन्होंने भी बहुत तारीफ की।

कभी किसी के साथ पक्षपात नहीं करती थी सरोज जी

सरोज खान जी के साथ यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे झलक दिखला जा जज करने का मौका मिला और उनकी एक अनूठी क्वालिटी यह थी कि कभी फेवरेटिज्म नहीं करती थीं। अगर उन्हें कोई दिल से पसंद आया है तो जो तालिया निकलती थी या सीटी निकलती थीं या 100 का नोट निकलता था वह दिल से निकलता था। वहीं अगर किसी ने गलती की है तो भी वे उस पर गुस्सा नहीं होती थीं पर उसे प्यार से समझाती थी उसे एन्करेज करती थीं ताकि वह अगली बार और अच्छा कर सके। कभी किसी भी बच्चे को लेकर फेवरेटिज्म नहीं दिखाया सरोज खान जी ने।



 from Dainik Bhaskar 
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