ताहिर राज भसीन एक ऐसे ऑउटसाइडर हैं, जिनका इंडस्ट्री में कोई कनेक्शन नहीं है। उनको यशराज फिल्म्स ने तराशा और बतौर विलेन ‘मर्दानी’ से लॉन्च किया। उसके बाद से अपने करियर की उड़ान को देख कर ताहिर की खुशी का ठिकाना नहीं है। ‘मर्दानी’ से अपनी पहचान बनाने के बाद ताहिर ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस फिल्म ने उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर और बेस्ट विलेन के एवार्ड दिलाए थे। इसके आगे रिलीज हुई ‘मंटो’, ‘छिछोरे’ जैसी फिल्मों में किए गए उनके परफॉर्मेंस की बदौलत उनको ‘83’ और ‘लूप लपेटा’ जैसे प्रोजेक्ट हासिल हुए। ताहिर बेहद रोमांचित है कि उसने बॉलीवुड में अपनी किस्मत खुद अपने हाथों से लिखी।
वो कहते हैं, बॉलीवुड में अब तक तय किए गए अपने सफर पर मुझे गर्व है। जब आप शून्य से शुरुआत करते हैं तो आपके काम को जो मान्यता मिलती है और जो अवसर मिलते हैं, उनकी आप कद्र करते हैं, क्योंकि यह सब आपके टैलेंट की बदौलत हासिल होता है। अब तक मैंने जो भी काम या हासिल किया है, उसे मैं अनुभवों के एक पर्सनल कोलाज की तरह देखता हूं।
तापसी पन्नू के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं
“मेरे करियर का अगला रोमांचक मोड़ पहले जितना ही चैलेंजिंग साबित होने जा रहा है। ‘लूप लपेटा’ एक थ्रिलर कॉमेडी है और इस फिल्म में तापसी जैसी बेहद प्रतिभाशाली एक्टर के साथ अपनी जोड़ी बनने को लेकर मैं बेहद उत्सुक हूं।"
ताहिर खुलासा करते हैं कि उनका सिनेमाई सफर उन्हें गर्व का अहसास कराता है। ‘वाय आरएफ’ की फिल्म मर्दानी घिसी-पिटी कास्टिंग के उलट थी और करन रस्तोगी/वाल्ट के किरदार ने मुझे चैलेंज किया कि रानी मुखर्जी जैसी आइकॉन के सामने एंटी-हीरो की भूमिका निभाते हुए मैं अपनी पूरी काबिलीयत झोंक दूं। भूमिका के अनोखेपन ने इसे मेरे लिए यादगार बना दिया। इस रोल के बाद गियर बदलते हुए ‘छिछोरे’ में हल्का-फुल्का कॉलेज ड्रामा करना और अब ‘लूप लपेटा’ में रोमांटिक लीड प्ले करना मजेदार होगा।
ताहिर यह भी बताते हैं कि उनके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत कौन हैं। वो कहते हैं, “जिन लोगों को मैं मेंटॉर की नजर से देखता हूं, जरूरी नहीं हैं कि वे मुझसे रोजाना मिलने वाले लोग हों, बल्कि वे ऐसे चुम्बकीय आकर्षण वाले लोग हैं, जिनसे मैं कभी-कभार ही मिलता हूं। ये उनकी बातों की वजह से होता है या उनकी किसी ऐसी चीज की वजह से है, जो मुझ पर गहरा असर छोड़ती है।
आमिर खान से मिली एडवाइज
आमिर खान, जिनसे मुझे ‘मर्दानी’ के फौरन बाद मिलने का एक छोटा-सा मौका मिला था, ने कहा था कि जल्दबाजी में कभी नहीं रहना और जोखिम उठाने से कभी मत डरना। उन दिनों मुझे यह वाक्य बड़ा गूढ़ और रहस्यमय लगा था लेकिन जैसे-जैसे समय गुजर रहा है, उनकी बात के ज्यादा से ज्यादा मायने मेरे सामने खुलते जा रहे हैं।
मेरे अन्य सिनेमाई मेंटर हैं- नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जिनके साथ मैंने ‘मंटो’ में काम किया है। उनका काम मुझे यह सिखाता है कि ऑडियंस को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।‘
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from Dainik Bhaskar
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