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‘खुदा हाफिज’ में कॉमन मैन वाला एक्शन करेंगे विद्युत जाम्बाल, दो फैंस को दिया फिल्म में साथ काम करने का मौका

विद्युत जाम्‍बाल शायद इकलौते ऐसे कलाकार होंगे, जिनकी बैक टू बैक हफ्तों में दो फिल्‍में रिलीज हो रही हैं। ‘यारा’ पिछले वीक जी फाइव पर आई थी। अब उनकी ‘खुदा हाफिज’ डिज्‍नी प्‍लस हॉटस्‍टार पर आ रही है। फिल्‍म रियल लाइफ इंसिडेंट पर बेस्‍ड है। उसको लेकर विद्युत ने खास बातचीत की है। पेश हैं प्रमुख अंश:-

-क्‍या कुछ कहना चाह रही है ‘खुदा हाफिज’?

यह सवाल पूछती है कि आप अपने प्‍यार के लिए किन हदों को पार कर सकते हो? कहां तक जा सकते हो? बड़ी बात है कि यह एक ट्रू लाइफ स्‍टोरी है। डायरेक्‍टर फार्रुख कबीर ने एक खबर पढ़ी थी अखबार में। हैदराबाद के एक कपल के साथ हादसा हुआ था। मंदी के चलते जॉब गई थी। नई नौकरी की चाह में कपल खाड़ी मुल्‍क जाते हैं। वहां शादीशुदा महिला गुम हो जाती है। उसे उसका पति कैसे ढूंढता है, कहानी उसकी है। यह जाहिर करता है कि अगर इंसान परिस्थितियों से लड़ना जानता है तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है।

-प्‍यार और उसकी खुमारी के एहसास को कैसे लाया एक्‍शन हीरो ने?

(हंसते हुए) प्‍यार के एहसास पर क्‍या एक्‍शन हीरो का हक नहीं। विद्युत जाम्‍बाल तो चट्टान है, वो नहीं करेगा ये सब। ऐसा नहीं है मेरे दोस्‍त। मेरा किरदार कॉमन मैन है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है। बीवी उसकी उससे एक दिन पहले जॉब के लिए गल्‍फ कंट्री जाती है और गुम हो जाती है। अब वह उसे ढूंढने निकलता है। चाहे मुझे या आप को एक्‍शन आता हो या न आता हो। तो उस किरदार समीर की जगह मैंने खुद को रखा और कैमरे के सामने सारे एहसास जाहिर किए। एक तरह से कहें तो यहां एक्टिंग नहीं की है। यह तो रियल इमोशन है। एक गैंगस्‍टर प्‍ले करना हो तो वहां आपने गोली नहीं चलाई होती है। वहां आप जरूर एक्‍ट कर रहे होते हैं। पर यहां तो मैं समीर को जी रहा था।

-रोमांटिक जॉनर की कौन सी फिल्‍में पसंदीदा रही हैं?

हिंदी में तो ‘कभी अलविदा न कहना’ अच्‍छी लगी थी। ‘दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे’ पसंदीदा रही हैं। मुझे ‘चित्‍तचोर’ जैसी कहानी करनी है कभी। अमोल पालेकर जी वाली। ‘कबीर सिंह’ भी मुझे अच्‍छी लगी थी।

-कबीर सिंह की तरह प्‍यार में विद्युत क्‍या कुछ कर सकते हैं?

मैं ‘खुदा हाफिज’ के समीर सा हूं। अपने प्‍यार के लिए जान दे भी सकता हूं और जान ले भी सकता हूं। फिल्‍म में टिपिकल विद्युत फैंस के लिए काफी एक्‍शन है। हां यहां थोड़ा अलग होगा, क्‍योंकि मैं एक ट्रेंड मार्शल आर्टिस्‍ट हूं। जब भी एक्‍शन करता हूं तो वह टेक्निकली सही होता है। मुझ पर जब कोई वार करता है तो मेरे रिएक्‍शन बड़े स्‍वाभाविक ही होते रहे हैं।

‘खुदा हाफिज’ के लिए मुझे अजीब चीज करनी पड़ी। मुझे अपनी पिछली सारी ट्रेनिंग अनलर्न करनी पड़ी। वो अजीब चीज थी। पर अच्‍छी बात रही कि मैंने सब कुछ भूल कर लड़ाई शुरू की तो महसूस हुआ कि जंग लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती। पागलपन की दरकार होती है। वो मैंने आज तक प्‍ले नहीं किया। देश के लिए लड़ने वाले शख्‍स के रोल मैंने काफी प्‍ले किए हैं। पर इश्‍क के लिए लड़ने का जो पागलपन होता है, वह अलग ही खुशी मिली।

बेयर ने पीएम मोदी का इंटरव्‍यू लिया था, आप किनका इंटरव्‍यू करना चाहेंगे?

मैंने यूट्यूब पर शो शुरू किया है। उसका नाम है ‘एक्‍सरेड’। मेरा जिसको मन करता है, उसको फोन कर इंटरव्‍यू ले लेता हूं। अभी तक नौ लोगों का लिया है। उनमें से दो रिलीज हो गए हैं। बड़े अजूबे और ब्रिलिएंट लोगों के लिए हैं। जैसे ‘टोनी जा’। वो पहली ही फिल्‍म से वर्ल्‍ड फेमस हो गए थे। ऐसा नहीं था कि खूब वर्जिश करने से ही वो फेमस हो गए। उनमें एक अंदरूनी इच्‍छाशक्ति थी, जिसकी बदौलत वो ऊंचाइयों पर पहुंच पाए। मैं उस इच्‍छाशक्ति के बारे में जानना चाहता था।

-किन लोकेशनों पर शूट हुई फिल्‍म?

हमने उज्‍बेकिस्‍तान, मुंबई और लखनऊ में शूट किया है। उज्‍बेकिस्‍तान में इंडियन कम्‍युनिटी बहुत हैं। वहां जांबालिएन्‍स फैन पेज है। वहां उज्‍बेकिस्‍तान में वह एमबीबीएस कर रहा था। उसको फिल्‍म में काम दिला दिया। मैं लखनऊ गया हुआ था। वहां जांबालिएन्‍स आए हुए थे। उनमें से दो तो थिएटर से थे। पता लगा तो उन्‍हें भी फिल्‍म में काम दिला दिया। तो देश दुनिया में दोस्‍त यार मिलते रहते हैं।



 शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप

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ऐसा, ज्योतिर्लिंग जिसके दर्शन मात्र से ही होती हैं हर मनोकामना पूरी
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from Dainik Bhaskar 

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